खजूर के पौधे शुष्क, अर्ध-शुष्क और अन्य कृषि-जलवायु प्रदेशों में भी उगते हैं। वे कठोर जलवायु और पर्यावरणीय परिस्थितियों का प्रतिरोध कर सकते हैं और काफी उपज दे सकते हैं, जबकि दूसरे पौधे ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में ऐसा नहीं कर पाते हैं। वे शुष्क और अर्ध-शुष्क प्रदेशों में निरंतर घटते जल स्तर में जल का संरक्षण भी करते हैं और छाया और आश्रय भी मुहैय्या कराते हैं। खजूर के पौधे मिट्टी के कटाव को रोककर मरुस्थलीकरण में सुधार लाने के लिए जाने जाते हैं। ये खारेपन से झलने वाली बागवानी फसलें हैं और खारे जल वाली भूमि में इसकी खेती की जा सकती है। वे एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने में मदद करते हैं, जो मिट्टी की सेहत, कार्बन फुट प्रिंट, जैव विविधता को पुनः ठीक करने और शुष्क प्रदेशों के वनस्पतियों और जीवों में सुधार करने में मदद करता है।