भारत के राजस्थान के जोधपुर में अतुल राजस्थान डेट पाम्स लि. (एआरडीपी) के उत्पादन संयंत्र में अंदर में विकसित वितरित नियंत्रण प्रणाली की मदद से साफ-सुथरे कक्ष और कीटाणुहित स्थितियों के वैश्विक मानकों को बनाए रखा जाता है। यह न केवल लंबी अवधि वाली फ़सलों के माइक्रो प्रसार के लिए अनुकूलतम दशाओं को सक्षम बनाता है, बल्कि कृत्रिम परिवेश (इन-विट्रो) के उत्पादन के सभी विकास चरणों में परिस्थितियों की निरंतर निगरानी में भी मदद करता है।
कुशल तकनीशियनों, ऑपरेटरों और सुपरवाइजरों की प्रशिक्षित टीम कंपनी की गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के अधीन प्रोटोकॉल, मानक परिचालन प्रक्रियाओं और परिचालन निर्देशों के अनुसार काम करती है। जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों, कृषि वैज्ञानिकों और फ़ील्ड एक्सटेंशन कर्मचारियों की एक अनुभवी टीम निरंतर सुधार की प्रक्रिया का संचालन करती है।
एआरडीपी द्वारा उत्पादित टिश्यू कल्चर से उगे खजूर के पौधों को प्रत्येक सब-कल्चरिंग साइकल और वृद्धि चरण के दौरान कड़ी जांच से होकर गुजरना पड़ता है। वे भरोसेमंद गुणवत्ता मानकों वाले रोग-मुक्त पौधों के उत्पादन के लिए सही किस्म और वायरस अनुक्रमित होते हैं।
इन-विट्रो उत्पादित पौधों को ऑटोमैटेड ग्रीन हाउस और शेड-नेट हाउसों में अनुकूलन, प्राइमरी हार्डनिंग और सेकंडरी कार्डनिंग के विभिन्न चरणों से गुजारा जाता है। नर्सरियों में टिश्यू कल्चर द्वारा उगाए गए खजूर के पौधे के ये पूर्व-विट्रो विकास चरण नियंत्रित प्रक्रिया में बाहरी परिस्थितियों के अनुकूल बनाने में मदद करते हैं। हार्डनिंग टीम अलग-अलग किस्मों के स्वस्थ नर और मादा टिश्यू कल्चर से उगाए गए खजूर के पौधों को सुनिश्चित करने के लिए विविधता, आयु, आकार, जलवायु और मौसम की स्थिति के अनुसार प्रोटोकॉल की नियमित जांच और कार्यान्वयन का ध्यान रखती है।
खजूर के पौधों की वैज्ञानिक खेती और उच्च क्षेत्र की उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और दिशानिर्देशों का एक सेट दिया जाता है। संसाधन उपयोग को ज्यादा से ज्यादा अनुकूलित करने के लिए टिश्यू कल्चर से उगाए गए खजूर के पौधों के लिए ड्रिप इरिगेशन तथा दूसरे आधुनिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाता है।